
२००७ में मैंने ब्लोगिंग शुरू की - हिंदी में लिखने का सुझाव दिया संजीव तिवारी जी ने , और इस तरह एक परिचय हुआ उनसे . मेरी रचना जो हिंदी में ब्लॉग जगत के सामने आई ' अद्भुत शिक्षा ', उसे लोगों के सम्मुख लाने का भी प्रयास संजीव जी ने ही किया .... यूँ कहें ,
इस जगत में मेरी पहचान के सूत्रधार या गुरु संजीव तिवारी जी हुए .
उनकी कलम से जब मैंने उनका परिचय माँगा तो लेखन में सधे संजीव जी ने इस तरह अपना परिचय भेजा जैसे पसीने से तरबतर हो कोई कह रहा
हो - अब ये बहुत हुआ ' ! तो चलिए रूबरू हो लें -
रश्मि जी, प्रणाम!
संपूर्णता के फेर में जीवन परिचय पूर्ण ही नहीं कर पाया, एक संक्षिप्त परिचय भेज रहा हूं, आजकल ब्लॉग पढ़ना नहीं हो पा रहा है.
विलंब के लिए क्षमा सहित.
संजीव तिवारी
माता - स्व.श्रीमति शैल तिवारी
पिता - स्व.श्री आर.एस.तिवारी
शिक्षा - एम.काम., एलएल.बी.
संप्रति - वर्तमान में हिमालया ग्रुप, भिलाई में विधिक सलाहकार.
पता - ग्राम- खम्हरिया(सिमगा के पास), पोस्ट- रांका, तहसील- बेरला, जिला-दुर्ग, छत्तीसगढ़.
लेखन प्रकाशन - विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में 1993 से कविता, लेख, कहानी व कला-संस्कृति पर आधारित आलेख प्रकाशित.
संपादन : छत्तीसगढ़ी भाषा की आनलाईन पत्रिका गुरतुर गोठ डाट काम (http://gurturgoth.com) का विगत 2008 से प्रकाशन व संचालन.
ब्लाग लेखन - छत्तीसगढ पर केन्द्रित हिन्दी ब्लाग 'आरंभ' (www.aarambha.blogspot.com) का संचालन. हिन्दी इंटरनेटी व ब्लॉग तकनीक पर निरंतर लेखन. छत्तीसगढ़ के कला-साहित्य व संस्कृति को नेट प्लेटफार्म देकर सर्वसुलभ बनाने हेतु निरंतर प्रयासरत.
सम्मान/पुरस्कार - राष्ट्रभाषा अलंकरण, छत्तीसगढ़ राष्ट्र भाषा प्रचार समिति. वर्ष के सर्वश्रेष्ठ क्षेत्रीय लेखक, परिकल्पना सम्मान - 2010. रवि रतलामी जी के छत्तीसगढ़ी आपरेटिंग सिस्टम में सहयोग (इस आपरेटिंग सिस्टम को दक्षिण एशिया का प्रसिद्ध मंथन पुरस्कार प्राप्त हुआ)
वर्तमान पता - ए40, खण्डेलवाल कालोनी, दुर्ग, छत्तीसगढ़.
प्रोफाईल - गूगल # फेसबुक # ट्विटर
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संजीव तिवारी
देश भाषा-लोक भाषा www.gurturgoth.com उनकी आखिरी पंक्तियाँ हिंदी के प्रति उनकी निष्ठा को दर्शाती है . इसी हिंदी ने ही तो हम सबको जोड़ा है .
संजीव सर के बारे मे जानकर बहुत अच्छा लगा।
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कल 18/11/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
संजीव जी के बारे मे जानकर बहुत अच्छा लगा। आभार..
जवाब देंहटाएंरश्मि जी आपकी कलम से संजीवजी का परिचय बहुत अच्छा लगा ...थोडा बहुत परिचय हैं संजीवजी से,-- हम नए ब्लोग्गर्स के लिए तो यह मील का पत्थर हैं--बधाई जी !
जवाब देंहटाएंसंजीव तिवारी तो ब्लॉग जगत प्रतिष्ठित नाम है...वे उत्साहवर्धन करते रहते हैं....
जवाब देंहटाएंउनको सादर नमस्कार और बधाई...
अलग अंदाज में परिचय कराना अच्छा लगा.
जवाब देंहटाएंसंजीव जी के ब्लॉग से तो हम परिचित हैं, लेकिन उनके बारे मे इतना कुछ जानकर बहुत अच्छा लगा। विशेषकर उनका हिंदी के प्रति इतना लगाव सम्माननीय है...आभार..
जवाब देंहटाएंआज आपकी कलम के माध्यम से परिचित हुए संजीव जी से ..आपके शब्दों में इनके व्यक्तित्व ...के साथ-साथ सहजता एवं विनम्रता भी मुखर हो रही है ...परिचय की इस कड़ी को निरंतरता देने के लिए बधाई के साथ आभार ।
जवाब देंहटाएंआपके स्नेह के लिए बहुत बहुत धन्यवाद रश्मि जी, ... टिप्पणी करने वाले सभी ब्लॉगर साथियों को मेरा नमस्कार ...
जवाब देंहटाएंआपके ब्लाग गुरु जी से परिचय पाकर अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा आपकी कलम से परिचय!
जवाब देंहटाएंआपकी कलम से संजीव तिवारी जी का परिचय अच्छा लगा !
जवाब देंहटाएंSanjeev ji ka purn parichay jaankar achchha laga. dhanyawaad.
जवाब देंहटाएंसंजीव जी से परिचय करनर के लिए आभार
जवाब देंहटाएंहिंदी के लिए इसी प्रेम की आवश्यकता है | एक बेहद विनम्र परिचय |
जवाब देंहटाएंसादर