रश्मि प्रभा जी को बहुत-बहुत धन्यवाद उनके अनुकंपा से मै आप सब के सामने अपना ह्रदय खोल रही हूँ………………
मै महेश्वरी कनेरी …एक साधारण परिवार में जन्मी चार बहनों और एक भाई में सबसे बडी़ हूँ । घर में बडी़ होने के कारण भाई बहनों के प्रति मेरी हमेशा से जिम्मेदारियाँ रही है। मेरे पिता शिक्षा और अच्छे संस्कार पर बहुत ज़ोर दिया करते थे ।अपनी हैसियत के अनुसार हम सभी को उन्होंने अच्छी शिक्षा और अच्छे संस्कार दिए । मेरे पिता को मुझ से बहुत आशाएँ और उम्मीदें थीं मुझे हमेशा कहा करते थे “ बेटा ! तू मेरी बेटी नहीं बेटा है “
बचपन से ही मैं बहुत ही संकोची तथा अन्तर्मुखी रही। अपनी मन की बात किसी से कहते घबराती ।बस मन में उठे हर भाव को काग़ज में उतारना अच्छा लगता था। लिखने का सिलसिला वही से शुरु हुआ ।बाबुल के आँगन में भाई बहनों के बीच कब और कैसे बचपन बीत गया और मैं विवाह के बंधन में भी बँध गई पता ही नहीं चला ।
बचपन की एक घटना याद आरही है- जब मैं आठवी पास कर नौवी कक्षा में पहुँची तो मैं संगीत विषय लेना चाहती थी, क्यों कि मुझे संगीत से बहुत लगाव था । लेकिन पता नही क्यों अध्यापिका ने मुझे संगीत लेने ही नही दिया । औरों के मुकाबले मैं इतना बुरा भी नही गाती थी । ये बात मेरे मन को आहत कर गई ।मैंने उसी वक्त फैसला ले लिया कि मैं अपनी बेटी को संगीत जरुर सिखाऊँगी । विधि का विधान देखो आज मेरी बेटी रेडियो आर्टिस्ट होने के साथ- साथ हैदराबाद की जानी मानी गज़ल गायिकाओ मे से एक है ।कभी-कभी दुखी और अबोध मन से लिया, मासूम सा फैसला ईश्वर पूरा कर ही देते हैं।
सन१९७४ में अध्यापि्का के रुप में जब मेरी नियुक्ति केन्द्रीय विधालय में हुई मुझे लगा जैसे आज मेरे पंखो को परवाज़ मिल् गया । छोटे-छोटे बच्चों के बीच रह कर उनके मनोंभाव को समझते हुए उनके रुचि के अनुरुप कुछ गीत और काविताएं लिखने लगी “आओ मिलकर गायें गीत अनेक “ सन १९९४ में ये पुस्तक प्रकाशित हुई । सन१९९६ में गीत नाटिका का एक ओडियो कैसेट निकाला जिसमें छह गीतों भरी कहनियां हैं. सन १९९४ मे मुझे प्रोत्साहन पुरस्कार तथा २००० में राष्ट्र्पति पुरस्कार से सम्मानित कियागया । सन २००९ में सेवानिवृति के बाद ईश्वर की कृपा और आप लोगों की अनुकंपा से मैं फिर से लिखने का प्रयास कर रही हूं ।
जुनून और कुछ् कर गुजरने की चाहत मनुष्य को हमेशा आगे बढ़ाता है। सच्चे मन से किया जाने वाले हर कार्य में ईश्वर का निवास होता है,येसा मेरा विश्वास है । मै सफल हूँ या नहीं लेकिन सन्तुष्ट जरूर हूँ ।
घबराते- घबराते गिरते पड़्ते हम चले डरते-डरते
सोचते थे मंजिल मिलेगी भी या नही
तभी हौंसले ने अंगुली थामी ,विश्वास ने सहारा दिया
और हम चल पड़े, चलते रहे और चलते रहेंगे
क्योंकि आप सब का विश्वास हमारे साथ है
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पंख होने से क्या होता है,हौसलो में उड़ान होती है
जीत उसकी होती है,जिसके सपनों में जान होती है
सच है... इस सच्चाई की जीती जागती तस्वीर है ये -
राष्ट्रपति पुरस्कार
आदरणीय माहेश्वरी जी के बारे मे यहाँ इतना कुछ जानकर बहुत अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंसादर
aapne bhut khoobsoorti se dil ki bat kh di our khni bhi chahiye .
जवाब देंहटाएंbhut achchha lga .
वाह माहेश्वरी कनेरी जी से मिलना बेहद सुखद रहा…………हार्दिक आभार्।
जवाब देंहटाएंमहेश्वरी कनेरी जी के बारे में जानना अच्छा लगा ..केन्द्रीय विद्यालय से थोड़ा सम्बन्ध मेरा भी रहा है ..
जवाब देंहटाएंआपकी कलम और परिचय की श्रृंखला में होता विस्तार ..जिसमें आज आपने मिलाया आदरणीय महेश्वरी जी से उनके बारे में जानकर बहुत ही अच्छा लगा ...उनके लिये शुभकामनाओं के साथ बधाई भी और आपका एक बार फिर से आभार ।
जवाब देंहटाएंमहेश्वरी जी से उनके बारे में जानकर बहुत ही अच्छा लगा आपका आभार ।
जवाब देंहटाएंजीवन में देखे गए सपनों और उनको पूरा करने की सफल कोशिशें , सरल सादे शब्दों में बयानगी लुभा गयी ...
जवाब देंहटाएंआपके साथ चलते सभी साधारण लोग असाधारण हो जाते हैं !
अच्छा परिचय.... महेश्वरी कनेरी जी को बधाई एवम सादर शुभकामनाएं...
जवाब देंहटाएंमाहेश्वरी कनेरी जी से मिलना बेहद सुखद रहा .......
जवाब देंहटाएंइस ब्लॉग पर आज पहली बार आना हुआ। पता नहीं कैसे छिपा रह गया।
जवाब देंहटाएंआप वास्तव में लेखकों के बारे में डूब कर लिखती हैं। ऐसा समर्पण बहुत कम देखने को मिलता है।
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ब्लॉग के लिए ज़रूरी चीजें!
क्या भारतीयों तक पहुँचेगी यह नई चेतना ?
rashmi ji
जवाब देंहटाएंaadarniy maheshwari ji se milkar aapke dwara unka parichay jaan kar atyant khushi hui.sach me vo bahu pratibha ki dhani hai .tabhi to unke man me kuchh kar gujarne ka aatm vishwas bhar pur dikhta hai. unko mera sadr pranaam v aapko bhi iske liya bahut bahut badhai
dhanyvaad
sahit naman
poonam
rashtrapati pruskar vijeta Maheshwari jee ke baare me padh kar khushi hui........:)
जवाब देंहटाएंरश्मि दी..महेश्वरी जी का परिचय पाना बहुत अच्छा लगा ...!!शील सौम्य स्वाभाव और गहन लेखन...!!आपकी रचनाएँ तो पढ़ते ही रहते हैं...!!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लगा परिचय पाकर ..शुक्रिया...
जवाब देंहटाएंमाहेश्वरी जी के बारे में जानना बहुरत ही अच्छा लगा ... उनकी रचनाएं तो पढता ही हूँ ... परिचय के बाद पढ़ने का मज़ा बढ़ जाता है ..
जवाब देंहटाएंvery nice n motivational.
जवाब देंहटाएंरश्मि जी..
जवाब देंहटाएंआज नई पुरानी हलचल के माध्यम से आप तक पहुंची...
बहुत हर्ष और गर्व हुआ आपके विषय में जान कर...और आपको पढ़ कर..
और आ.महेश्वरी कनेरी जी के विषय में जान कर बहुत अच्छा लगा...
उन्होंने मेरी कुछ कविताओ की प्रसंशा कर मेरा उत्साह बढ़ाया है...
उनकी रचनाएँ तो बेमिसाल हैं ही...
धन्यवाद.
आज नयी पुरानी हलचल में मेरी कविता को भी स्थान मिला है...आप वक्त मिले तो पढियेगा..."एक अजन्मी कविता"
सादर.
अंत में दिखाया गया राष्ट्रपति पुरस्कार ही उनकी श्रेष्ठता को साबित करता है |
जवाब देंहटाएंसादर
महेश्वरीजी ..आपकी रचनाओं से तो आपको जाना था ..आज आपके शब्दों में रश्मिजी के माध्यम से आपको कुछ और जाना ..एक सुखद एहसास था .....आपकी उपलब्घियों के लिए बहुत बहुत बधाई ...:)
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