कैसे मिली .... कुछ याद नहीं , पर मुझे मिली और उसके मिलने में एक सच्चाई थी , है ....ब्लॉग तो उसके कई हैं , http://sadalikhna.blogspot.com/ सभी अपनी पहचान रखते हैं , पर मुझे जो ब्लॉग सबसे अच्छा लगा , वह है - http://ladli-sada.blogspot.com/ . इस ब्लॉग में सीमा सिंघल ने अपनी माँ की एक अद्वितीय गरिमायुक्त छवि को सुरक्षित किया है , उसकी ममता , बच्चे का भोलापन .... एक पवित्रता है यहाँ .
शांत, स्थिर , अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक ... यह सीमा की विशेषता है , इस विशेषता के साथ एक और विशेषता है उसकी - प्यार भरी जिद्दी सी लड़की की !
जहाँ तक मैं उसके करीब आती गई , बिना मिले उसे बहुत हद तक जाना ... जीवन उसका संघर्षमय रहा , पर अपनी सीमाओं के बीच उसने कभी हार नहीं मानी , न टूटी , ..... एक टूटना प्रत्यक्ष होता है, एक अप्रत्यक्ष - प्रत्यक्ष को हम मान के चलते हैं , अप्रत्यक्ष अपनी जगह होता है . तो - सीमा ने खुद को तो जतन से रखा ही , अपने पास के लोगों का भी भरपूर सम्मान और ख्याल किया .
बचपन में मैंने माँ के लिए पढ़ा था - 'दिन भर फिरकिनी सी खटती माँ बच्चों के सपनों के लिए सजग होती है , सिरहाने लोहे का टुकड़ा रखती है ताकि बुरे सपने ना आएँ '.... सीमा अपने से जुड़े लोगों के लिए ऐसी ही है... दिन भर फिरकिनी सी खटती , उनकी खुशियों , उनके सपनों का ख्याल रखती है !
सीमा की तरह उसका परिचय भी सीमित है - पर परिपक्व है
मैं सीमा सिंघल मेरे शब्दों में कहूं तो जब भी कभी मन के दरवाज़े पर भावनाओं ने दस्तक दी, उँगलियों ने उसे कलम के सहारे काग़ज़ पर उतार दिया ! आपने उसे कविता कहा...! ग़म, ख़ुशी, प्रेम, नाराज़गी, आग्रह, अवसाद या कुछ और...! सीधे सादे शब्दों में कहूं तो भावनाओं को व्यक्त करने का माध्यम कविता बखूबी करती है ! सिर्फ व्यक्त नहीं करती...बल्कि सिखाती भी है ! अनुराग...समर्पण ...जैसी सच्ची भावनाएं, ..जिसमें इंसानी जज्बे का अक्स हो ! मुझसे यह सब जुड़ता हैं.... ''खुद से'' आत्ममंथन के रूप में ! बस इसीलिए तो मन को भाता है कविता लिखना ! ...बचपन से ही पसन्द है लेखन का यह रूप ...!
कभी आकाशवाणी रीवा से प्रसारण द्वारा तो कभी पत्र-पत्रिकाओ में प्रकाशित होते हुए मेरी कवितायेँ आप तक पहुचती रहीं..! सन 2009 से ब्लॉग जगत में ‘सदा’ के नाम से जुड़ने के बाद सुखद परिणाम है कि मेरा प्रथम काव्य संग्रह ‘अर्पिता’ अब आप सबके बीच है ..! मेरी कुछ और कविताओं को आने वाले संकलन अनुगूंज में पढ़ा जा सकेगा.!
जन्म स्थान- रीवा (मध्यप्रदेश) शिक्षा एम.ए. (राजनीतिशास्त्र) से वर्तमान में एक निजी संस्थान में निजसचिव के पद कार्यरत हूं रूचियों में लेखन के अलावा पुराने सिक्के संग्रहित करना, पुराने फिल्मी गीत सुनने के साथ अमृता प्रीतम जी को पढ़ना अच्छा लगता है..... मेरा ई-मेल- sssinghals@gmail.com एवं ब्लॉग - http://sadalikhna.blogspot.com/
Yeh Pyaar bhari Ziddi si ladki mujhe to apni apni si lagi...! Ilu...!
जवाब देंहटाएंसदा का प्यारा सा परिचय अच्छा लगा.
जवाब देंहटाएंसदा " सीमा सिंघल" जी से परिचय पा कर अच्छा लगा ... उनकी भावनात्मक कविताओं की प्रशंसक हूँ ..आभार
जवाब देंहटाएंसदा जी के लेखन से तो पहले से ही परिचय है, आज उनके व्यक्तित्व के अनुछुए पहलुओं से परिचय कराने के लिये आभार.
जवाब देंहटाएंबधाईयां सदा जी को
जवाब देंहटाएंसदा हमेशा सदा रहें।
जवाब देंहटाएंSeema Singhal Sada ke bare men jankar achcha laga.
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा इनसे परिचित होना
जवाब देंहटाएंarre wah....SADA jee ka ye roop hai....:)
जवाब देंहटाएंpata hi nahi SADA ....seema singhal hain:)
anyway...Didi ke kalmo ne inko hamare samne rubru karaya...achchha laga...
god bless you...seema jee "sada":)
सदा जी से मिलकर अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंअरे .... इन्हें तो कहीं देखा हुआ है आपने इनका परिचय दिया है तो पढ़ना ही पड़ेगा और पढ़ लिया तो फिर कुछ लिखना भी होगा, कुछ बातों से तो मैं भी अंजान थी पर आपकी पारखी नजरों से वह छिप नहीं सका आभार ...भी नहीं शुक्रिया भी नहीं ... सिर्फ नमन और नमन आपकी कलम को, बस एक ख्वाहिश है आप यूं ही ऊर्जावान रहें..आपका लेखन निरन्तर चलता रहे आपके लिये ढेर सारी शुभकामनाएं ।
जवाब देंहटाएंsada ji ko aapke shabdo mei jaan kar accha laga.............aabhar
जवाब देंहटाएंसदा जी के बारे में इतना कुछ यहाँ जान कर बाहर अच्छा लगा.
जवाब देंहटाएंसादर
सदा जी के लेखन से तो पहले से ही परिचय है
जवाब देंहटाएंआज सदा जी के व्यक्तित्व से परिचय पा कर अच्छा लगा
...............आपका बहुत बहुत आभार रशिम प्रभा जी..
अगर ईश्वर आपकी जिंदगी में कठिनाइयाँ और तकलीफें देता है तो इसका सिर्फ यही मतलब है कि आपकी क्षमताओं पर उसे आपसे ज्यादा भरोसा है |
जवाब देंहटाएंऔर ये बात सीमा जी ने बखूबी साबित की है |
सादर