गुरुवार, 30 जून 2011

बरगद सी विशालता (अशोक आंद्रे )



अशोक आंद्रे ... कथासृजन ब्लॉग http://wwwkathasrijan.blogspot.com/ पर जिस दिन मैं गई , मैंने पढ़ा -
आँख बन्द होते ही
एहसासों की पगडण्डी पर
शब्दों का हुजूम
थाह लेता हुआ बन्द कोठरी के
सीलन भरे वातावरण में
अर्थ को छूने के प्रयास में
विश्वास की परतों को
तह - दर -तह लगाता है
जहाँ उन परतों को छूने में , हर बार
पोर - पोर दुखने लगता है ।
और लगा किसी ने अपने पोर पोर में उठे दर्द में जाने कितनी पगडंडियाँ समेट लीं . एक आशीर्वचन सा लगा उनका व्यक्तित्व और मैंने उनको फ़ोन किया , उम्र के अनुभव सबकी आवाज़ में नहीं होते . मुझे उनकी आवाज़ में बरगद सी विशालता मिली . कम शब्दों में कोई बहुत कुछ कह जाए , समझिये - उसने ज़िन्दगी को बहुत करीब से जाना है , और वो भी दूसरों की शर्तों पर !
मुझे उनकी हर रचनाएँ बोलती मिलीं .... तो मेरा फ़र्ज़ बनता है न कि मैं आपको भी वहाँ ले चलूँ और अशोक जी से उनका परिचय पाऊं .

बचपन में माँ का चले जाना उस जगह जहां से कभी कोई लौट के नहीं आ सका. उम्मीदों
के सारे रास्ते बंद हो चुके थे . घर में सबसे बड़ा था इसलिए सबकुछ महसूस कर रहा था और
अन्दर तक दहल गया था.किसको अपनी व्यथा बताता ,कुछ समझ नहीं आता था .
उसी दौरान हमारे घर के पास लायब्रेरी का उद्घाटन हुआ था . उस तरफ आकर्षित होकर किताबों की दुनिया में खो गया था. लगा शब्दों में बहुत ताकत है जो हमें व्यवस्थित करने में तथा अपने उदगारों को लोगों तक पहुँचाने का सबसे सशक्त माध्यम है.
उसी दौरान वार एंड पीस , टेल आफ टू सीटीज तथा GreatExpectation जैसे उपन्यासों से गुजरना
हुआ.जिसने मेरी जिन्दगी के मूल्यों को बदल डाला.
पहली बार एक कविता "द फ्लावर " लिखी थी जिसे मेरे इंग्लिश के टीचर ने बिना बताए उसे एक
मैगजीन में छपने के लिए भेज दी और वह छप भीगयी. मैं उसकी महत्ता से अनजान संभाल
कर रख न पाया .
धीरे-धीरे मैं लेखन से जुड़ता चला गया. शुरुआत आकाशवाणी से हुई थी .स्वर्गीय श्री राम नरेश
पाण्डेय जी, स्वर्गीय श्री सत्येश पाठक जी तथा श्री सोम ठाकुर जी जैसे विद्वानों के आशीर्वाद
सेहो अपनी साहित्यिक यात्रा को नये आयाम देता चला गया.
लेकिन पहली बार स्वर्गीय श्री दुर्गा प्रसाद नौटियाल जी ने साप्ताहिक हिन्दुस्तान में मेरी बाल
कविता छापकर मेरा हौसला बढ़ायाऔर श्री विजय किशोर मानव जी ने भी दैनिक हिन्दुस्तान में मेरी कई रचनाओं को विशेष स्थान देकर प्रोत्साहित किया.
उसी दौरान कई कहानियाँ भी लिखीं जिनसे अपने समय को तथा जीवन की तरल सच्चाइयों
को करीब से जानने का मौका मिला .
आज लगता है कि मैं अगर साहित्य की दुनियां में नहीं आता तो शायद मौत से असली
साक्षात्कार हो गया होता तथा किसी गुमनाम बस्ती में रहकर जीवन की माला के अंतिम मानकों
पर चलता हुआ आखिरी यात्रा की तरफ चला गया होता.
(अशोक आंद्रे )
जीवन परिचय -
जन्म -०३मार्च १९५१,कानपुर (उ प)
प्रकाशित कृतियाँ -फुनगियों पर लटका एहसास
खिलाफ अँधेरे के
नटखट दीपू
चूहे का संकट
कथा दर्पण (संपादित )
सतरंगे गीत ( ")
सम्मान - राष्ट्रीय हिंदी सहस्त्राब्दी सेवी सम्मान 2001
हिंदी सेवी सम्मान 2005 ( जैमिनी अकादमी (हरियाणा )
आचार्य प्रफुल चन्द्र राय स्मारक सम्मान २०१० (कोलकता)
ट्वंटी टेन राष्ट्रिय अकेडमी एवार्ड (हिंदी साहित्य ) २०१० (कोलकत्ता )

12 टिप्‍पणियां:

  1. अशोक आंद्रे जी से मिलना अच्छा लगा ... आपके ज़रिये अनेक विभूतियों से परिचय होगा ...

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  2. कम शब्दों में कोई बहुत कुछ कह जाए , समझिये - उसने ज़िन्दगी को बहुत करीब से जाना है ,एक सच आपने कहा ...और दूसरा सच यह है कि शब्‍दों ही शब्‍दों में कोई किसी से यूं साक्षात्‍कार करा जाये ...वह आप हैं अशोक आंद्रे जी का परिचय और उनकी उपलब्धियां इन सबके साथ उनके लिये शुभकामनाएं और आपका एक बार फिर से आभार ।

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  3. अशोक आंद्रे जी से परिचय अच्छा लगा ... आपके ज़रिये अनेक विभूतियों से परिचय होरहा है ..बहुत बहुत धन्यवाद....

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  4. अशोक आंद्रे जी से मिलकर बहुत अच्छा लगा ...

    मुझे उनकी आवाज़ में बरगद सी विशालता मिली . कम शब्दों में कोई बहुत कुछ कह जाए , समझिये - उसने ज़िन्दगी को बहुत करीब से जाना है , और वो भी दूसरों की शर्तों पर !
    मुझे उनकी हर रचनाएँ बोलती मिलीं ...

    जवाब नहीं आपके शब्दों का......

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  5. Ashok ji ke shabdo se milna accha laga..! Roz roz yaha ek nayi Pratibha ko padhna aur unke shabdo se gujarana ab aadat si banne lagi hai... bahut khub..!Ilu..!

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  6. अशोक आंद्रे जी का परिचय नया है हमारे लिए ...कई ऐसी ही विद्वान् शख्सियतों से मिलना होगा आपके द्वारा !
    आभार !

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  7. अशोक आंद्रे जी .....को आपकी की कलम से पढना अच्छा लगा ....
    बहुत कुछ जानने को मिलता है .....आभार

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  8. अशोक आंद्रे जी का परिचय बहुत अच्छा लगा । उन्हें शुभकामनायें।

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  9. aandre ji ke baare me padh kar acha aur kathasrijan adh kar aur b acha laga

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  10. आपने जिंदगी को बहुत करीब से जाना है , आपका अभिनन्दन |

    सादर

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